The Wood-cutter and the Goddess of River from Aesop's Fables.

बच्चों के लिए हिंदी कहानी: The 2 Wood-Cutters and the River Goddess (Honesty is the best policy)

नदी के किनारे एक आदमी लकड़ी काटने का काम कर रहा था। जब वह पेड़ की शाखाएं काट रहा था, तो उसका पैर फिसल गया और उसका संतुलन बिगड़ गया जिसकी वजह से उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गई। बेचारा आदमी नहीं जानता था कि क्या करे क्योंकि नदी बहुत गहरी थी और उसके लिए कुल्हाड़ी निकालना असंभव था। उसके पास नई कुल्हाड़ी खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे। वह इतना चिंतित हुआ कि बैठ गया और जोर-जोर से रोने लगा।

नदी की देवी ने उसकी पुकार सुनी, और उसके सामने प्रकट हुई और उसकी उदासी का कारण पूछा। लकड़हारे ने उसे अपनी दुःख भरी कहानी सुनाई। फिर नदी की देवी ने पानी में गोता लगाया और एक सुनहरी कुल्हाड़ी ले आई। “क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है?” उसने पूछा।
In the third attempt, the river goddess brings out the farmer's original wooden axe.
"नहीं," लकड़ी काटने वाले ने कहा।

“क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है?” चाँदी की कुल्हाड़ी लाते हुए नदी की देवी ने फिर पूछा।

"नहीं," लकड़ी काटने वाले ने कहा।

नदी की देवी ने तीसरी बार गोता लगाया और लकड़हारे की कुल्हाड़ी ले आई।

“हाँ, वह लकड़ी की कुल्हाड़ी मेरी है!” लकड़हारे ने ख़ुशी से कहा।

नदी की देवी लकड़हारे की ईमानदारी से इतनी प्रसन्न हुईं कि उन्होंने लकड़हारे की कुल्हाड़ी के साथ-साथ सोने और चांदी की कुल्हाड़ियाँ भी दीं।

कुछ दिनों बाद, एक आदमी जिसे लकड़हारे ने अपनी कहानी सुनाई थी, उसने सोचा कि वह नदी पर अपनी किस्मत आज़माएगा। उसने अपनी कुल्हाड़ी पानी में फेंक दी और रोने लगा। उसके साथ भी वही हुआ जो पहले लकड़हारे के साथ हुआ था। लेकिन जब नदी की देवी ने एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर आई, तो वह आदमी ने कहा: "हाँ, हाँ, यह मेरी है।

देवी उसके झूठ से इतनी हैरान हो गई कि वह तुरंत कुल्हाड़ी लेकर गायब हो गई, और उस आदमी की असली कुल्हाड़ी लाने की भी जहमत नहीं उठाई।

कहानी का सार:- ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

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