दो आदमी एक साथ सड़क पर यात्रा कर रहे थे। अचानक उनमें से एक आगे बढ़ा और चमकदार नई कुल्हाड़ी उठा ली, जो उनके सामने जमीन पर पड़ी थी।
" कितनी भाग्यशाली खोज है यह मेरे लिए!" उसने कहा। "मेरी नई कुल्हाड़ी तो देखो।"
"क्या यह हमारी कुल्हाड़ी नहीं है?" उसके साथी ने पूछा। "चूंकि हम एक साथ यात्रा कर रहे हैं और एक ही समय में हम दोनों ने सड़क पर यह कुल्हाड़ी पड़ी देखी।"
"मैं आपसे सहमत नहीं हूँ!" पहले आदमी ने कहा। “यह मैं ही था जिसने इसे सबसे पहले उठाया था। इसलिए, यह मेरी कुल्हाड़ी है"।
"ठीक है, जैसी आपकी इच्छा," दूसरे आदमी ने उत्तर दिया।
बिना कुल्हाड़ी का जिक्र किए, वे दोनों फिर से सड़क पर साथ चलने लगे। लेकिन जल्द ही उस कुल्हाड़ी का असली मालिक, जिसने गलती से इसे सड़क पर गिरा दिया था, वापस आ गया और अपनी कुल्हाड़ी पर अपना दावा पेश करने लगा।
कुल्हाड़ी के असली मालिक ने धमकी दी, "अगर तुमने इसे चुपचाप नहीं दिया तो हम तुम्हें अदालत में ले जाएंगे।"
"हम कितने बदकिस्मत हैं कि हमें इसे वापस लौटाना पड़ रहा है!" उस आदमी ने, जिसके पास कुल्हाड़ी थी, अपने साथी से कहा।
“हम नहीं, सिर्फ तुम,” उसके साथी ने कहा। “जब तुम्हारे पास कुल्हाड़ी थी, तब मैं उसमें साझेदार नहीं था, तो अब इसके नुकसान में मेरा कोई हिस्सा क्यों होना चाहिए?”
कहानी से सीख:- समान रूप से बांटना ही सच्ची साझेदारी है।
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