एक खरगोश को एक चील पीछा कर रही थी। उसने मदद के लिए बेतहाशा इधर-उधर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था, सिवाय एक छोटे से भृंग के।
“मुझे चील से बचाने के लिए कुछ करो,” छोटा खरगोश अपनी जान बचाने की व्याकुलता में चिल्लाया।
“साहस रखो,” छोटे भृंग ने कहा, और जब चील नीचे आई, तो उसने उससे खरगोश की जान बख्श देने का अनुरोध किया।
“क्या मैं, एक महान पक्षी, तुम्हारी विनती सुनूं, तुम हास्यास्पद कमजोर भृंग!” चील ने तिरस्कार किया। “देखो, मैं तुम्हारी विनती का अनादर इस तरह करती हूँ।”
और क्रूर चील ने खरगोश को भृंग की आंखों के सामने ही पकड़ लिया और खा लिया।
भृंग चील द्वारा उसकी विनती को ठुकराने और खरगोश को निगल जाने से बहुत दुखी और क्रोधित था। उसने उस पक्षी से बदला लेने का निश्चय किया और लगातार यह देखने के लिए निगरानी करने लगा कि वह अपना घोंसला कहाँ बनाती है।
हर बार जब चील अंडे देती थी, भृंग उसके घोंसले तक उड़ जाता था और अंडों को बाहर फेंक देता था, जिससे वे टूट जाते थे। चील ने एक के बाद एक घोंसले बनाए, लेकिन चील चाहे कितनी भी सावधानी से उन्हें छिपाने की कोशिश करे, भृंग हमेशा घोंसला ढूंढ लेता था और अंडे बाहर गिरा देता था।
अंत में, चील महान पक्षियों के राजा के पास गई और उससे अंडे देने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करने की प्रार्थना की। पक्षी राजा ने चील को अपनी गोद में अंडे देने की अनुमति दे दी। लेकिन भृंग सब कुछ देख रहा था, और जब अंडे दिए गए, तो उसने मिट्टी का एक गोला लिया और उड़कर पक्षी राजा की गोद में गिरा दिया।। बिना सोचे-समझे, पक्षी राजा उठे और मिट्टी को झाड़ने लगे, जिससे चील के अंडे नीचे गिरकर टूट गए।
कहानी का सार:- सबसे विनम्र और कमजोर प्राणी भी आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं यदि आप उन्हें अपमानित करते हैं।
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