The Potter is appointed as the Royal Guard of the King's Palace.

The Jackal Who Thought He Was a Lion: A Tale of Identity and Truth

एक कुम्हार की साधारण शुरुआत
एक दूरदराज़ के गाँव में एक कुम्हार रहता था, जिसका पूरा जीवन मिट्टी और आग के इर्द-गिर्द घूमता था। एक दिन, जब वह अपनी भट्ठी से पके हुए बर्तन निकाल रहा था, तो अचानक उसके हाथ से एक घड़ा फिसल गया और ज़मीन पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गया। कुछ टुकड़े इतने नुकीले थे कि उनके किनारे छुरे की तरह तेज़ थे।

वह निशान जिसने सब कुछ बदल दिया
इस घटना के कुछ ही देर बाद, वहीँ पर खड़े-खड़े कुम्हार का पैर फिसला और वह सीधे मुँह के बल नीचे गिर पड़ा। दुर्भाग्य से, टूटे घड़े का एक नुकीला टुकड़ा उसके माथे में जा घुसा। इससे उसे एक गहरा घाव लगा और खून की धार बह निकली। यह कोई मामूली चोट नहीं, बल्कि एक ऐसा निशान था जो उसकी किस्मत ही बदलने वाला था।
The Potter stumbled and fell down face-long resulting in huge Scar at his forehead.
घाव का निशान और एक नई शुरुआत
घाव को भरने में कई महीने लग गए, परंतु उसने कुम्हार के माथे पर एक बड़ा सा निशान छोड़ दिया। साल गुजरते रहे और कुम्हार अपने घड़े-बर्तन बनाने की कला में व्यस्त रहा। जब भी वह आईने में अपना चेहरा देखता, तो वह निशान उसे बेचैन कर देता। उसे बड़ा दुख होता कि उसकी शक्ल बिगड़ गई है और चेहरा बदसूरत-सा दिखने लगा है। लेकिन जैसा कि कहावत है — जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है।

राजधानी की यात्रा
भाग्य की बात थी कि अचानक उस इलाके में अकाल पड़ गया और भयंकर सूखा पड़ने लगा। मजबूर होकर कुम्हार को अपने परिवार समेत गाँव छोड़ना पड़ा और वह एक दूर दराज़ नगर की ओर चल पड़ा। यह नगर एक राज्य की राजधानी थी। वहाँ पहुँचकर उसने दर-दर जाकर काम ढूँढ़ा और अंततः किस्मत ने उसका साथ दिया — उसे राजदरबार में नौकरी मिल गई।

गलतफ़हमी और राजा की मेहरबानी
एक दिन संयोगवश, राजा की नज़र कुम्हार पर पड़ी, जो एक हट्टा-कट्टा और सुगठित आदमी था। राजा की नज़र उसके माथे पर पड़े घाव के निशान पर अटक गई। निशान ऐसी कहानी कह रहा था, जो सच नहीं थी — राजा को भ्रम हुआ कि वह कोई साहसी राजपूत योद्धा है। इस गलतफ़हमी में प्रभावित होकर, राजा ने कुम्हार को अपने निजी कक्ष का प्रहरी नियुक्त कर दिया।

योद्धाओं की जलन
जब कुम्हार को राजा की कृपा प्राप्त हुई, तो राजदरबार के शाही सेवा में पुराने योद्धाओं को उससे ईर्ष्या होने लगी। वे आपस में धीरे-धीरे फुसफुसाकर उसके खिलाफ षड्यंत्र रचने लगे, जैसे तलवार पर धार तेज़ की जाती है। लेकिन इन सब चालों के बावजूद, कुम्हार मन ही मन उस ईश्वर का आभार मानता रहा, जिसने उसके माथे के निशान को उसकी किस्मत बदलने का जरिया बना दिया।
The Potter is appointed as the Royal Guard of the King's Palace.
युद्ध का मंडराता खतरा
समय बीतता गया और कई वर्ष शांति से गुज़र गए। फिर एक दिन, राजा के जासूसों ने एक चिंताजनक खबर लाई—एक पड़ोसी शासक राज्य पर आक्रमण की तैयारी कर रहा था।

तुरंत, राजा ने अपने सेनापति को सेना को तैयार करने और पूरी शक्ति से दुश्मन का सामना करने का आदेश दिया। योद्धाओं के एक चुनिंदा समूह को एक विशेष दस्ते में संगठित किया गया, जिसे दुश्मन के हमला करने से पहले उन पर वार करने का काम सौंपा गया।

सच्चाई का खुलासा: केवल मिट्टी, आग और एक दुर्घटना से उपजा निशान
चूंकि कुम्हार राजा की कृपा-दृष्टि में था, इसलिए उसे भी एक साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। जब उससे उसके युद्धकौशल और वीरता के इतिहास के बारे में प्रश्न किया गया, तो यह बात सामने आई कि वह एक कुम्हार के अलावा और कुछ नहीं था, जिसका जीवन केवल मिट्टी के बर्तन और भट्ठी की आग तक सीमित था। जिसे न तो युद्ध में बहादुरी का अनुभव था और न ही कौशल का। उसके माथे पर बने निशान के पीछे की सच्चाई भी उजागर हो गई।

अपने पसंदीदा व्यक्ति के बारे में वास्तविकता जानकर राजा सन्न रह गया। निराश होकर, उसने कुम्हार को राजसेवा छोड़ने और तुरंत अपने गाँव लौटने का आदेश दिया।

राजा की नीति कथा: पहचान का पाठ
कुम्हार ने हाथ जोड़कर विनती की—“महाराज, मुझे युद्धभूमि पर अपनी बहादुरी साबित करने का अवसर दीजिए।”
लेकिन राजा ने दृढ़ स्वर में कहा—“साहस केवल एक ज्वाला है, लेकिन युद्ध की अग्नि को सँभालना और विजय पाना पीढ़ियों की साधना से आता है। न तुमने, न तुम्हारे पूर्वजों ने कभी युद्ध का सामना किया। वीरता केवल हृदय में नहीं, बल्कि वंश और अभ्यास में भी होती है।”

इसके बाद राजा ने कुम्हार को समझाने के लिए एक कथा सुनाई—

सिंह और सियार
बहुत समय पहले, एक घने जंगल में एक बलशाली सिंह रहता था। उसकी संगिनी ने दो सुंदर शावकों को जन्म दिया था। इस कारण वह माँद में रहकर बच्चों की देखभाल करती, और शिकार के लिए सिंह स्वयं निकलता।

एक दिन, सिंह शिकार की तलाश में दूर-दूर तक घूमा, लेकिन सूर्यास्त तक उसे कुछ नहीं मिला। थका हारा और निराश, वह मांद की ओर लौटने लगा। रास्ते में, उसे एक नवजात सियार सड़क के किनारे लाचार पड़ा मिला। सिंह ने उसे अपने जबड़ों में कोमलता से उठाया और उसे जीवित ही अपनी मांद में ले आया।
The Lion brought New born Baby Jackal as Food for Dinner.
अपनी मांद में पहुँचकर, सिंह ने सिंहनी से कहा, "आज मुझे कोई शिकार नहीं मिला। घर लौटते समय, मैंने इस सियार के बच्चे को सड़क किनारे लाचार पड़ा पाया, इसलिए इसे तुम्हारे लिए जीवित ही वापस ले आया। इसका कोमल मांस खाकर अपनी भूख शांत करो।"

सिंह के परिवार में सियार के बच्चे का स्वागत

सिंहनी, जिसने कुछ ही दिन पहले दो शावकों को जन्म दिया था, बोली, "प्रिय, तुमने इस नन्हें जीव पर दया करके इसकी जान बख्शी है। तुमने जो पाप करने से इनकार कर दिया, मैं वह क्यों करूँ? मैं इसे नहीं खाऊंगी। इसके बजाय, मैं इसे अपने तीसरे बच्चे के रूप में पालूंगी।"

सिंह ने उसे आगाह किया, "तुम इसे बेटे की तरह पाल सकती हो, लेकिन यह कभी सिंह नहीं बन पाएगा। समय आने पर, खून हमेशा अपनी असली प्रकृति प्रकट कर ही देता है।"

हालाँकि, सिंहनी ने सिंह की बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया। उसने सियार के बच्चे को भी अपने बच्चों की तरह दूध पिलाना और पालना शुरू कर दिया। मासूमियत में, शावकों ने भी सियार को अपना भाई मान लिया और वे तीनों एक साथ खेलने-कूदने लगे।
The Lioness suckle the baby jackal along with her two cubs.
खून अपना रंग दिखाता है
दिन बीतते गए, और लगभग एक साल बीत गया। सिंह के शावक और सियार का बच्चा अब काफी बड़े हो गए थे। अब वे मांद से दूर निकलने लगे थे और छोटे-छोटे जानवर खुद शिकार करने लगे थे।

एक दिन, तीनों शावक गहरे जंगल में पहुंच गए, जहां अचानक उनकी मुलाकात एक हाथी से हुई। हाथी के विशाल शरीर और लंबी सूंड को देखकर वे चौंक गए।

सिंह के शावक, अपने स्वभाव के अनुसार, बिना डरे उस पर हमला करने को तैयार हो गए। वे निर्भीक होकर झपटने की मुद्रा में बैठ गए। लेकिन सियार का बच्चा घबरा गया और बोला, "चुप रहो! इस विशाल जानवर से दूर रहो, नहीं तो यह तुम्हें मार डालेगा!"

यह कहते ही वह बिना कोई और बात किए वहां से भाग गया। अपने भाई को भागते देख सिंह के शावक भी असमंजस में पड़ गए और उसके पीछे-पीछे वहां से भाग निकले।
Jackal fled from the battle scene discouraging his two Lion Brothers.
मांद में पहुंचकर सिंह के बच्चों ने अपने भाई की कायरता के बारे में अपने पिता से शिकायत की। शिकायत सुनकर सियार भड़क गया और सिंह के बच्चों को डांटने लगा। उसे अपने वास्तविक स्वरूप का कोई अंदाज़ा नहीं था और वह स्वयं को हर तरह से उनके बराबर मानता था।

सियार को अपनी असलियत का पता चलता है
झगड़ा देखकर, सिंहनी सियार को एक तरफ ले गई और उसे धीरे से सलाह दी कि वह अपने भाइयों पर गुस्सा न करे।

लेकिन सियार ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया। "माँ!" उसने विरोध किया, "आप उनका पक्ष ले रही हैं—जैसे कि मैं आपका बेटा नहीं हूँ!"
The lioness took the jackal to one side and advised him not to be angry with his brothers.
सिंहनी ने सियार को उसके जन्म और पालन-पोषण की पूरी कहानी बताई। अपने बारे में सच्चाई जानकर गीदड़ का चेहरा पीला पड़ गया। जो शावक अभी तक उसके भाई लग रहे थे, अचानक ही उसे संभावित हत्यारे प्रतीत होने लगे।

बिना समय बर्बाद किए, सियार ने अपने पालक माता-पिता और भाइयों को अलविदा कहा, और जितनी तेज़ दौड़ सकता था उतनी तेज़ दौड़कर अपनी जान बचाकर भागा।

कुम्हार की दुविधा
यह कथा सुनाकर राजा ने कुम्हार की ओर देखा और कहा—
“तुरंत यहाँ से चले जाओ। यदि राजपूत योद्धाओं को तुम्हारी असली पहचान का पता चल गया, तो वे तुम्हें धोखेबाज़ समझकर क्षमा नहीं करेंगे, बल्कि तुरंत दंड देंगे। जब तक अवसर है, निकल जाओ, वरना दया की आशा मत करना।”

कुम्हार का हृदय टूट गया—दरबार की वैभवशाली सुविधाओं के लिए नहीं, बल्कि उस सम्मान के लिए जिसे वह अपना समझ बैठा था।
इस बार उसने कोई बहस नहीं की। वह मुड़ा और चुपचाप वहाँ से चल दिया।

कहानी की शिक्षा:
अपने आप को पहचानो। झूठी पहचान से शायद कुछ समय के लिए अवसर मिल जाएं, लेकिन सच्चाई सामने आते ही वही दरवाज़े बाहर का रास्ता दिखा देते हैं।

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